2019 में सबसे बड़ी चुनौती.....

2018 में प्राइवेसी, सुरक्षा और साइबर वॉर के बारे में नए नए भंडाफोड़ हुए और 2019 में हमे इसके परिणाम हमारे सामने आएंगे। चिंता हमे इस बात की होनी भी चाहिए कि भविष्य में हमारे लिए क्या होने वाला है।

2018 में हमे पता लगा कि हमारे स्मार्टफोन पर निगरानी रखी जा रही है और हमारे फोन में मौजूद किसी एप्प्स हमारी हर एक गतिविधियों को ट्रैक कर रही है। यहां तक कि फेसबुक भी इससे अछूता नही रहा उसने भी हमारे निजी मैसेज को तीसरे पक्ष को दे दिया। इसने कई ऐसी कम्पनियों को हमारे डेटा का उपयोग करने के लिए दे दिया ताकि चुनाव को प्रभावित किया जा सके। हमारे गुप्त डेटा का उपयोग होता रहा कम्पनियों ने इसे इकट्ठा किया और इसका दुरुपयोग भी किया ये बात भी हमे पता चली।



लेकिन भविष्य हमारे साथ क्या होने वाला है क्या इससे भी बुरे समाचार सुनने को मिलेगा हमे उस सारी कम्पनियों का पता भी नही जिसके पास हमारे निजी डेटा है और उसका उपयोग कम्पनियां कहाँ कहाँ कर रही इस बात से भी हम अनजान है। हमारे बैंक एकाउंट ट्रांसजेक्शन , मैसेजिंग एप्प्स 
जिसके पास हमारी सारी जानकारी है वो 2019 में बदलने वाली नही है सत्ता और कॉरपोरेट की साठगांठ होने से लगता है नही की सुरक्षा के लिए कोई कानून बनेंगे।
कंपनी को निजी डेटा स्टोर करने से रोकने से ही सुरक्षा होगी लेकिन, इसकी सम्भवना न के बराबर है। ऐसी घटनाएं बढ़ने के साथ साथ उनके कर्मचारी ध्यान देना बंद कर देंगे। जैसे कम्पनी आज क्रेडिट कार्ड फ्रॉड को अनदेखा करती है।
कंपनी से टेक्नोलॉजी जो जवाबदेह ठहराया जाने और बेहतर सुरक्षा की मांग तो लोगो को ही करनी होगी लेकिन लगता है कि हम इसमे नाकाम रहेंगे।
हम अपने फोन में ट्रैकिंग को डिसेबल कर देंगे। फेसबुक एकाउंट को डिलीट कर देंगे, सोशल मीडिया हिस्ट्री और पुराने ईमेल और टेक्स्ट को डिलीट कर देंगे लेकिन क्या ये पर्याप्त होगा हमारे लिए ये भी एक बड़ा सवाल बन के खड़ा है हमारे बीच क्योंकि प्राइवेसी की बजाय हम वे सुविधा को महत्व देंगे।

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